Sargam notations for the Hindi Song – Ye Dil Aur Unki Nigahon Ke Saye
Singer : Lata Mangeshkar
Lyrics : Janisar Akhtar
Music : Jaydev
Movie : Prem Parbat (1973)
Based on Raag : Pahadi / Taal: Keherwa
Original Scale : E
Flute used for notations : C
PRELUDE:
Humming…
Hm hmhm | hm hm | hmhm
S RG | S R | S ,D
Hm | hm | hmhm | hmhm | hm hm |
,P | ,D | SR | GP | G P
hmhm | hm | hm | hm…
G R | S | ,D | S….
MUKHDA:
Ye | dil | aur | unki |
G | G | RGR | S R
nigahon | ke | saaye |
S R S ,D | ,P | ,D S…
Ye | dil | aur | unki |
G | G | RGR | S R
nigahon | ke | saaye |
S R S ,D | ,P | ,D S…
Ye | dil | aur | unki |
S | G | P D | NS’DNR’S’ N~D
nigahon | ke | saaye |
M PG P | M | R~S S
Mujhe | gher | lete |
G G | RGR | S R
hain | baahon | ke | saaye |
S | R S ,D | ,P | ,D S…
INTERLUDE:
Same humming
ANTARA 1:
Pahaadon | ko | chan chal |
SS R G | R | S,N(R)S ,N,D{S,N,D,P}
kiran | chumati | hai
,P ,D | S R GRSG | G
Hawa | har | nadi | ka |
G G | MD | D D… | P
badan | chumati | hai
M P MG | P M (G)R~S | S
Yahaan | se | wahan | tak |
G G | RG | R S | R
hain | chaahon | ke | saaye |
S | R S ,D | ,P | ,D S…
Ye dil aur unki…
La lala | La la | Lala
S RG | S R | S ,D
La | La | lala | lala | la la |
,P | ,D | SR | GP | G P
Lala | La | la | la…
G R | S | ,D | S….
ANTARA 2:
Lipatate | ye | pedon | se |
G G P | P | D D | D
baadal | ghanere |
P~D P | G P D
Ye | pal | pal | ujaale, |
G | G | P | P D… D
ye | pal | pal | andhere
D | P~D | P | GP D
Ye | pal | pal | ujaale, |
S | S | G | M D…P
ye | pal | pal | andhere
M | P(M)G | P | M GR…S S
Bahot | thhnde | thhnde |
G G | RG R | S R
hain | raahon | ke | saaye |
S | R S ,D | ,P | ,D S…
Ye dil aur unki…
ANTARA 3:
Dhadkate | hain | dil | kitani |
SS R G | R | S,N(R)S | ,N,D{S,N,D,P}
ajaadiyon | se
,P ,D S R GRSG | G
Bahot | milate | julate | hain |
G G | MD D | D… P | M
in | waadiyon | se
P MG | P M (G)R~S | S
Mohabbat | ki | rngin |
G G RG | R | S R
panaahon | ke | saaye
S R S ,D | ,P | ,D S…
Ye dil aur unki…
1 thought on “Ye dil aur unki nigahon ke saye”
ये दिल और उनकी …गीत क्षितिज से परे प्रकृति के आलौकिक चितेरे ईश्वररूपी प्रियतम के भुजपाश में आनंदित रमणीय की अभिव्यक्ति को वास्तव में अख्तर साहब ने जां निसार कर मानवीयकरण की जो संकल्पना की है उसे पंडित जयदेव के तंत्रिक (जलतरंग) कलाबाजीं ने अंतरात्मा के एक-एक तार को झंकृत कर कल्पनातीत पारलौकिक यात्रा का आभास कराया हैं।
‘धड़कते हैं दिल इतनी आजादियों से ……वाकई…. धड़कन पर उसी प्रकार किसी का वश नहीं है जितना पवन, नदी, झरने, कलरव पर… । प्राची की किरण जहां पर्वतों पर सर्वप्रथम अनुरक्त है वहीं लयबद्ध सरिताओं पर मंद पवन का उर्मिल चुम्बन है। गीत में किरण स्त्रीलिंग और पर्वत पुर्लिंग जबकि पवन पुर्लिंग और नदियां स्त्रीलिंग का संकेत है, जिनके परस्परर अनुराग से सृष्टि का संवरण होता है।
लिपटते ये पेड़ों से … अंतरे में तरुवरों से मेघों का आलिंगन और उसके अवलम्ब के पीछे क्षण-क्षण में बादलों में चन्द्रमा के छिपने-निकलने से प्रकाश और निशा की कलाबाजी का दुर्लभ विषमयोग की अद्भुत संकल्पना को लता जी की ताल कहरवा राग पहाड़ी पर विरहिणी सुर मानव और प्रकृति के मध्य तादात्म्य स्थापित करता है।….राकेश कुमार वर्मा 7999682930